जाने आखिर इंटरमिटेंट फास्टिंग फिटनेस का मंत्र है या फिर खतरा

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हेल्थ: इंटरमिटेंट फ़ास्टिंग इस दशक का सबसे चर्चित डाइट ट्रेंड बन चुका है। इस तरह की फ़ास्टिंग में कैलोरी या कार्ब्स की मात्रा पर नज़र रखने का झंझट नहीं होता। इस फ़ास्टिंग में खाने का समय तय करना ज़रूरी है, न कि यह देखना कि आप क्या खा रहे हैं। टेक इंडस्ट्री से जुड़े कई लोग इसे अपनाते हैं. कई हॉलीवुड सितारे भी कहते हैं कि यह उन्हें फ़िट रखता है। ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भी एक बार कहा था कि वे हफ़्ते की शुरुआत 36 घंटे का उपवास रखकर करते हैं। विज्ञान ने भी अब तक इस तरह की फ़ास्टिंग का समर्थन किया है।

अभी तक की रिसर्च से संकेत मिले हैं कि रात का उपवास लंबा करने से मेटाबॉलिज़्म बेहतर हो सकता है। फ़ास्टिंग से कोशिकाओं की मरम्मत में मदद मिलती है और यह इंसान की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर सकती है। हालांकि, न्यूट्रिशन एक्सपर्ट अरसे से चेतावनी देते आए हैं कि सेहतमंद रहने के लिए भोजन छोड़ने से कोई जादू नहीं हो सकता है। एक्सपर्ट ये भी कहते रहे हैं कि ऐसा करना पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए ख़तरनाक हो सकता है।

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