झारखंड: एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) के गोपनीय शाखा कार्यालय में दो ताला लटका हुआ है। दो ताला लगने की वजह के बारे में सूत्रों ने यह बताया है कि वहां के कंप्यूटर की हार्ड डिस्क बदली जा रही थी। इस सूचना के बाद वहां पर दो ताले लगा दिए गए हैं। इसकी पुष्टि तो तभी होगी, जब हार्ड डिस्क की जांच होगी।
एसीबी कार्यालय के टेक्निकल सेल में लगे कंप्यूटर से भी हार्ड डिस्क बदले जाने की सूचना है। इस सेल में मोबाइल का सीडीआर निकालने से लेकर कॉल रिकॉर्डिंग तक के काम होते हैं। ऐसे में सवाल यह उठने लगा है कि क्या बिना जरुरत और बिना विभागीय अनुमति के किसी सरकारी कार्यालय में लगे कंप्यूटर की हार्ड डिस्क बदली जा सकती है? क्या ऐसा करना अपराध की श्रेणी में नहीं आयेगा? क्या एसीबी को जांच कर ऐसा करने व कराने वालों पर प्राथमिकी दर्ज नहीं करानी चाहिए? उल्लेखनीय है कि गुरुवार की रात सरकार ने डीजीपी अनुराग गुप्ता को एसीबी प्रमुख के प्रभार से मुक्त करने का आदेश जारी किया था। जिसके बाद शुक्रवार को एडीजी प्रिया दुबे ने एसीबी प्रमुख के पद पर योगदान दिया। इस दौरान वहां की गोपनीय और टेक्निकल शाखा में गतिविधियां तेज रहीं।
एसीबी प्रमुख का पद का प्रभार हटने के बाद शुक्रवार को डीजीपी ने एसीबी में पदस्थापित एक इंस्पेक्टर गणेश सिंह और छह पुलिसकर्मियों का तबादला कर दिया था। तबादला झारखंड जगुआर, रांची जिला बल और धनबाद जिला बल में किया गया। जिनका तबादला किया गया, वह सभी डीजीपी अनुराग गुप्ता के चहेते बताये जाते हैं। इंस्पेक्टर गणेश सिंह तो बजाब्ता एसीबी के बदले पुलिस मुख्यालय में रहकर डीजीपी की गोपनीय शाखा में काम करता था। तबादले के साथ ही यह सवाल भी उठने लगा है कि क्या सिर्फ पसंदीदा कर्मियों के साथ ही काम किया जा सकता है। यह पुलिस विभाग है, ना कि प्राइवेट लिमिटेड कंपनी!
































